Friday, 20 September 2013

चीनी जैसी कांग्रेस ------------------- नीम जैसा संघ

    किसे समर्थन देगे आप  ?????????????                                                                |
चीनी जैसी कांग्रेस
नीम जैसा संघ

चीनी जिसे सफ़ेद ज़हर या मीठा ज़हर    कहा जाता है खाने में स्वाद तो देती हैपर शारीर  को दीर्घकाल में खोखला भी कर देती है और अनेक बीमारियों से भर देती है  
कांग्रेस ने ६३ वर्षो में धर्म निरपेक्षता,विकास ,भारत निर्माण जेसी की चीनी  खिलाकर,, मीठीमीठी बाते करके जनता को देश को भष्टाचार की  डायबटीज़ से खोखला कर दिया है
वहीँ राष्ट्रीय  स्वयम सेवक संघ नीम के जैसा कडवा है सख्त है
लेकिन वही कड़वाहट भरे  गुण  वाला नीम मनुष्कोस्वस्थ  एवं सबल बनाता है
वही संघ ने लगातार अनुशासन का नीम   खिला- खिलाकर स्वयम सेवको को सद्चरित्र अनुशासित स्वयम सेवक तैयार किये है जो बिना ढिंढोरा  पीटे चुपचाप निस्वार्थ भाव से लगातार कार्य कर रहे है 

क्या इन बातो को और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता की संघ को आज  सक्रीय  रूप से राजनीति में पदार्पण कर लेना चाहिए  क्योकि वह निस्वार्थ भाव से देश हित में कार्य करता रहा है अनेक अवेहलनाओ  पाबंदियो  और तिरस्कार के बाद भी ,,,,,,,,,,,क्योकि  संघ का  उद्देश्य देश की निस्वार्थ भाव से सेवा करना है और  युवाओं में अर्थात सेवको में अनुशासन और अनेक चारित्रिक गुणों का समावेश करना है जिसका की आज भारतीय युवा पीढ़ी में सर्वथा आभाव हो गया है पूरे भारत में भ्रष्टाचार ,,चोरी,, बलात्कार,, उत्पीडन जैसी बाते होना आम बाते बन गयी है ,,,,,,,,,,,,इन्ही विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए मेरे विचार से संघ को आज प्रत्यक्ष  रूप  से राजनीति में आना चाहिए,,,,,,,,,,,,
इस बात को मै एक बार फिर स्पष्ट कर देना चाहती हूँ  कि, क्योकि संघ  निस्वार्थ भाव से कार्य करता रहा है देश हित के लिए ,,तो इस परिपेक्ष्य  में ,,आज राजनीति में निस्वार्थ भाव से कार्य करने वालो कि आवश्यकता  है जो  नैतिक चारित्रिक मूल्यों और आदर्शो पर कायम रहते हुए कार्य करे ,,,,इस लिए देश हित के लिए राष्ट्रीय  स्वयम सेवक संघ को राजनीति में आजाना चाहिए और भारत का वास्तविक रूप से  पुनर्गठन एवं  नव -निर्माण करना चाहिए और देश से विश्व के सर्वोच्च  शिखर पर पहुँचाने  कि दिशा में कार्य करना चाहिए,,,,,,,,,,,,

आप किसके साथ है ,,,,,,,,,,,,,,???????????????
कांग्रेस  ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,  या ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, राष्ट्रीय  स्वयम सेवक संघ


आधुनिक भारत


जिंदा लाशों की ये बस्ती है, बस दो चार यहाँ जीते है, वे अनीति की भेंट चढ़ जाते है, मुर्दे जिन्दा बच जाते है | मुर्दों के मुर्दे पैदा होते है , मुर्दों की झूठी गाथाएं बनती है , सच्चों के कर्म भी छिपते है , कौन पूछता उन कर्मों को ?? नाम बदल जाते उन कर्मों पर | इसमुर्दों की बस्ती में , शोर है पर निनाद नहीं , गिद्धों की चीखे है पर . विजय का शंखनाद नहीं ? कौन करेगा इन मुर्दों में, प्राणों का संचार, कौन भरेगा इनके लहू में, जीवन का उबाल,??? क्या ये जिंदा मुर्दों की, बस्ती बदल जाएगी , मुर्दों की बस्ती में , या इस बस्ती से उठेगा, विजय का स्वर ...!!! ॐ की गुंजार ....ॐ की गुंजार.....!!!-माधवी

Monday, 13 August 2012

''टूटता भारत''


भारत टूटता रहा ,हम देखते रहे
देशप्रेम की सौगंध खाते रहे, 
पर देश प्रेम को हम भूलते रहे
टुकड़ो में बंटती भूमि को अपनाते रहे ,
वन्दे मातरम कहते रहे ,वन्दे मातरम भूलते रहे .......... 
वे कश्मीर के स्वर्ग को नरक बनाते रहे ,
हम कहते रहे कश्मीर हमारा है ,
और कश्मीरियों को भगते कटते देखते रहे .........
हिंदी चीनी भाई -भाई का नारा हम गाते रहे ,
और चीनी हमें चीनी की तरह खाते रहे,
और अकाई चीन को हम चीन में जाते देखते रहे, 
हम भारत में ''भारत ''को ही भूलते रहे ..............
कभी अहिंसा के नाम पर हम मरते रहे ,
कभी शांति के नाम पर हम पिटते रहे ,
कभी काफिर के नाम पर, हम मारे जाते रहे ,
कभी जाति के नाम पर, हम बांटे जाते रहे ,
कभी आरक्षण की वेदी पर हम जलते रहे ,
वे तोड़ते रहे हम टूटते रहे, हम बंटते रहे,
आज़ाद, भगत जैसे बलिदानियों की धरती को हम ,
गद्दार नेताओं को सौपते रहे ,वे नेता देश को बेचते रहे ,
हम भारत को बिकते देखते रहे ,
झूठी आज़ादी के गीत हम  गाते रहे, 
झूठे -भुलावे की आज़ादी में जीते रहे.........
भारत टूटता रहा ,हम देखते रहे
देशप्रेम की सौगंध खाते रहे, 
पर देश प्रेम को हम भूलते रहे|
भारत टूटता रहा ,हम देखते रहे....|

Thursday, 19 April 2012

''साँसे''


चलती साँसों का नाम , जिंदगी
अविरल अबाध गति से चलती साँसे
कभी रुकती , कभी थकती
कबी हलकी , कभी गहरी साँसे
कभी संयोग ,कभी वियोग को
समेटती साँसे ,
सौन्दर्य का उपहास उड़ाती साँसे
पर जब कभी भूल से भी, भूल कर
रुकती साँसे ,
जीवन का अंत दिखाती साँसे ||--© माधवी