Friday 17 June 2011

राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के प्रति भारत के जन मानस में भ्रान्ति पूर्ण धारणा ,,,,,,,,,,

मै आजतक नहीं समझ पायी की राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के प्रति भारत के जन मानस में एक बहुत ही भ्रान्ति पूर्ण धारणा क्यों है कियह कट्टर हिन्दू और दुसरे धर्म विरोधी नीतियों का पोषक है जबकि अगर भुलावे की या राजनीती की परत हटा कर निष्पक्ष रूप से देखा जाएतो ,,,,,, संघ पंडित" राम प्रसाद बिस्मिल" एवं "अशफाक" के सयुक्त प्रयासों का परिणाम है बंगाल में राजनारायण बासु एवं ज्योतिन्द्र्नाथ ने मिलकर एक गुप्त अनुशीलन नामक समिति बनायीं थी इसमें व्यायाम आदि सिखाया जाता था ऐसे ही इस समिति का कार्य विस्तार हुआ और इसमे बिस्मिल और आशफाक ने कंधे से कन्धा मिलकर करांतिकारी कार्यो में सहयोग दिया था आशफाक अफगानिस्तान मूल के पठान थे जिनके पूर्वज वेदपाठी थे बिस्मिल मूलतः आर्यसमाजी थे इसी लिए शायद दोनों का खून एक साथ कार्य करने को प्रेरित करता रहाहोगा शायद ,,,,,,,, काकोरी कांड ९ अगस्त ,सन १९२५ को हुआ था २६ सितम्बर की रात को जब बिस्मिल गिरफ्तार हुए और उनके सभी साथियों को भी जेल में डाल दिया गया तब निश्चित हो गया था किअब ये क्रांतिकारी छूटने वाले नहीं है और इन्हें सजाए मौत तो होगी ही ,,लम्बी सजाए भी होगी इसके बाद ही अक्तूबर के महीने में राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ का बीज बोया गया संघ के संस्थापक और आदि -सरसंघ -चालक डा केशव राम बलिराम हेडगेवार जी कोई मामूली व्यक्ति नहीं वर्ण करांतिकारी एवं क्रांतदर्शी भी थे बिस्मिल कि गिरफ्तारी केबाद साकार मौत देगी ही और यही हश्र बिस्मिल के सहयोगी आशफाक का भी निश्चित है और एक बात अब तक मुस्लिम लीग देश में जड़े जमा चुकी थी किन्तु उसका उद्देश्य ,,,,,,,??????
डा हेडगेवार ने सन १९२५ में दशहरे के दिन पांच लोगो को लेकर राष्ट्री स्वयं सेवक संघ कि सथापना कर डाली उद्देश्य उनका भी वही था जो बिस्मिल जी ने लिखा है कि क्रांति के लिए शिक्षा ज़रूरी है अतः युवको एकत्र करके, संगठित करके पहले उनमे देश -प्रेम, संगठन -शक्ति , और नैतिक बल पैदा करो बस यही सोच और प्रक्रिया अपनाकर उन्होंने बिना किसी प्रचार के यह शुभ कार्य आरम्भ किया यही संघ कि उत्पत्ति हुयी ,, वर्तमान वटवृक्ष जो सम्पूर्ण विश्व में अपनी जड़े जमाये हुए है कोई मामूली वृक्ष नहीं वरन बिस्मिल जी के विचारो का वट वृक्ष है जिसे हेडगेवार जी ने बिस्मिल जी के अन्तः कारन से निकलकर वीर प्रसूता भारतभूमि में बो दिया |,,,तथ्य के आभाव में हो सकता है कि ये बात कुछ भ्रमित करे परन्तु अगर हेडगेवार जी जीवित होते तो वे निश्चित ही यही कहते कि बिस्मिल कि वैचारिक पृष्ठ भूमि ही उनके संगठन का आधार है ,
एक और भी इसी कड़ी का मुख्य पहलू और सच्चाई है कि जिस प्रकार संघ कि स्थापना हुयी उसी प्रकार से फ्रंटियर में [बलूचिस्तान और पेशावर ] में खान अब्दुल गफ्फार खान ने खुदाई खिदमतगार नाम से लाल कुर्ती संगठन कि नीव राखी संघ के लोगो कि जिस प्रकार निश्चित वेश भूषा थी वेसे ही खुदाई खिदमत गारो कि भी वेश भूषा थी दोनों एक ही वैचारिक प्रष्ट भूमि पर कार्य करते थे दोनों हो निस्वार्थ भाव,, जन सेवा,, राष्ट्र सेवा कि भावना से परिपूर्ण थे
जिस प्रकार संघ बिस्मिल के विचारो का वट वृक्ष है उसी प्रकार खुदाई खिदमतगार आशफाक के ज़ज्बातो का दरियाई दरख्त है और दोनों के विषय में एक बात में और समानता है कि जैसे यहाँ कांगरेस ने संघ को मान्यता नहीं दी बल्कि साम्प्रदायिकता का आरोप लगाया और गालिया ही दी ठीक उसी प्रकार पाकिस्तान में खुदाई खिदमतगार को वहा कि सरकार ने कोई तवज्जो नहीं दी उलटे बादशाह खान को जेल में डाल दिया
तो क्या इन सब तथ्यों के परिपेक्ष्य में क्या संघ पर बार- बार दोषारोपण करना उचित है ?????????

2 comments:

  1. माधवी जी संघ के सम्बन्ध में इतने अच्छे तथ्यों से परिचित करने के लिए धन्यवाद ..........भारत की जनता को संघ सम्बंधित भ्रांतियों से मुक्त करना आवश्यक है |

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  2. Madhavi Sawal yeh Utatha hai yeh baato ko aam janta taq Pahunchya kaise jaye . When You write on your blog make sure share with Google, Google Budge , Face Book and other nets. This way You will have large audience. Thanks maiane yeh article pad kar bahoot kuch seekha . mai khshama chahti hu mujhe to khud ko bhi maloom nahi tha.

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