Monday 25 July 2011

क्या अभी बलिदान बाकी है ???????????



१८४९ में पंजाब से सिख राज्य की समत होने से पूर्व गौ हत्या पर पूरी तरह प्रतिबन्ध था |अंग्रेजो का राज्य स्थापित होते ही स्थान स्थान पर बुचढ़खाने खुल गए और गौ मांस खुले आम बिकने लगा |अमृतसर के हरी मंदिर के निकट बूचड़ खाना खुलने से कुछ कूके बहुत उत्तेजित हो गए |कुछ कुको ने वहा पहुच कर कसाइयो की हत्या कर दी इसी प्रकार की घटना मलेर कोटला में घटित हुयी|........ भैणी साहब में एकत्रित कूकों को जब यह समाचार मिला की वहां एक थानेदार ने एक बैल की खुले आम हत्या करवाई है ,तो उनमे तीव्र उत्तेजना फ़ैल गयी |,,,,,,,,,,बाबा रामसिंह की आगया लिए बिना १४० उत्तेजित कूकों ने मलेर कोटला में बुचड़ो की बस्ती पर आक्रमण कर दिया |पुलिस मुठभेड़ में ७ कुके शहीद हो गए और शेष बंदी बना लिए गए...... |इनमे से ४९ को एक दिन और १७ को दूसरे दिन तोपों से उड़ा दिया गया |
यह था गुलाम भारत के शहीदों का इतिहास ,,,,,,, पर आज हम स्वतंत्र है, लेकिन क्या हम हिन्दुओ की स्थिति में कुछ परिवर्तन आया है?? नहीं ......अभी हाल ही में मायावती सरकार ने कितने और बूचड़ खाने खोलने की अनुमति दे दी है | हिन्दू संस्कृति तो किसी भी जीव की हत्या की पक्षधर नहीं है,,,,,, पर फिर भी गौ को माँ के रूप में माननेके कारण गौ हत्या के सख्त विरोधी है ,,,,पर इसका तो समर्थन कोई भी नहीं करेगा ,,,,,,वेसे तो न जाने कितने संगठन टीवी पर और सडको पर प्रचार के लिए उतर आते है ,कि हिरन मत मारो,, चीता बचाओ ,,घड़ियाल खतरे में,, लेकिन गौ हत्या के विषय में बोलने के लिए किसी संगठन के मुह में जबान नहीं रहती,,,, कोई नेता नही आता ,,कोई मुम्बई का ढोंगी नहीं आता ,,,,,,,,,,,,,, हाँ अगर कोई भूले से आगया तो उसे साम्प्रदायिक ,भगवा ,हिन्दू आतंकी ,धार्मिक भेदभाव बढ़ाने वाला मज़हबी और न जाने कितने आरोपों से प्रताड़ित किया जाता है यातनाये और प्रतिबन्ध अलग से ,,,,,,,,
वेसे जालियावाला बाग़ हत्या कांड की पुनरावृत्ति तो अभी ४ तारीख की रात को देखीही थी ,,,,,,,,,
क्या अब फिर कुछ और कूकों को तोपों से भी उड़ाया जायेगा,,
क्या अभी बलिदान बाकी है ???????????

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