वृक्ष दिखता है मगर जड़ सत्य है ,
बारिश दिखती है मगर समंदर सत्य है,
शरीर दिखता है मगर आत्मा सत्य है,
चांदनी दिखती है मगर धूप सत्य है,
जीवन दिखता है मगर मृत्यु ही सत्य है ,
आकाश दिखता है मगर अनंत सत्य है ,
प्रकृति दिखती है मगर वो अदृश्य निर्माता सत्य है ,
हिमालय दिखता है मगर शिव ही सत्य है ,,
तो फिर इस असत्य की तृष्णा और खोज क्यों ????? © माधवी
बारिश दिखती है मगर समंदर सत्य है,
शरीर दिखता है मगर आत्मा सत्य है,
चांदनी दिखती है मगर धूप सत्य है,
जीवन दिखता है मगर मृत्यु ही सत्य है ,
आकाश दिखता है मगर अनंत सत्य है ,
प्रकृति दिखती है मगर वो अदृश्य निर्माता सत्य है ,
हिमालय दिखता है मगर शिव ही सत्य है ,,
तो फिर इस असत्य की तृष्णा और खोज क्यों ????? © माधवी
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