आवाज़ निकलती है, मगर शब्द मौन है,
ह्रदय में स्पंदन है ,मगर भाव मौन है ,
मस्तिष्क में विचार उमड़ते है, मगर व्याख्या मौन है ,
बंद करे है आधुनिक मानव ,मन के दरवाज़े |
जहाँ से उठती है जहरीले सांप की फुफकारें ,
जहाँ से उठती है अंतरात्मा की चीखें ,
उन चीखों से हिल उठता है अंतर्मन ,
फिर क्यूँ बंद है ये मन के दरवाज़े????--© माधवी
ह्रदय में स्पंदन है ,मगर भाव मौन है ,
मस्तिष्क में विचार उमड़ते है, मगर व्याख्या मौन है ,
बंद करे है आधुनिक मानव ,मन के दरवाज़े |
जहाँ से उठती है जहरीले सांप की फुफकारें ,
जहाँ से उठती है अंतरात्मा की चीखें ,
उन चीखों से हिल उठता है अंतर्मन ,
फिर क्यूँ बंद है ये मन के दरवाज़े????--© माधवी
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