"वीर सावरकर "जैसे अपने लहू की एक -एक कतरे से भारतभूमि का सिंचन करने वाले संयमी , देशभक्त, त्यागी जैसे जितने भी शब्दों से उनका गुणगान किया जाएकम है ,,क्योकि सर्वथा शब्दों की सीमाए रहेगी ही ,, जिन्होंने अपनी मृत्यु से पूर्व ये वसीयत लिखी कि...
१, मेरे श्राद्ध का धन बचाकर हिन्दू धार्मिक संस्थानों को दान में दे दिया जाए तथा मै अपने निजी कोष से पांच सह्रस्त्र रुपये शुद्धि आन्दोलन के लिए भेंट करता हूँ |
२ ,और मेरी मृत्यु का शोक प्रकट करने के लिए किसी तरह का बंद या हड़ताल न कि जाए ,,,मेरे मरण के शोक के लिए कोई भी व्यक्ति अपना कार्य बंद न करे ....
'वीर सावरकर''
क्रांतिकारियों के मुकुटमणि ,स्वतंत्रता सेनानियों के अग्रणी ,हिंदुत्व को शक्ति शाली एवं संगठित करने हेतु अछूतोद्धार जैसी महान सोच के लिए एवं कार्य करने वाले युगपुरुष ''वीर सावरकर'' की पुण्यतिथि पर शत- शत नमन |||
पर आज वीर सावरकर, बिस्मिल , मातंगिनी हाज़रा, सुखदेव जेसे देव तुल्य भारत भूमि के भक्त आज अपनी जन्म भूमि अर्थात भारत भूमि की दुर्दशा पर व्यथित हो रहे होंगे ,,रुदन कर रहे होंगे ,,,,,,,,,
क्युकी आज ये भ्रष्ट शासन, भ्रष्ट नेता अपने और अपने रिश्तेदारों कि आने वाली पचास पुश्तो की या शायद उससे भी अधिक की पीढियों चिंता करके भारत की धन - सम्पदा को विदेशी खातो और खजानों कि भेंट चढ़ा रहे है ,,,,,,,,,,
भारत माँ आज फिर एक बार ह्रदय की करुण पुकार से अपनी स्वतंत्रता के लिए अपने वैभव के लिए फिर एक'' बिस्मिल'', फिर एक ''सावरकर'' को पुकार रही है ,जो आज फिर उसके अस्तित्व, उसके गौरव ,उसकी सम्पदा को लौटा सके, बढ़ा सके और उसे फिर गरिमामयी शीर्षस्थ सिंहासन पर विराजित कर सके ,,,,,,,,,
क्या फिर कोई वीर सावरकर जन्म लेगा ????????????????
या
फिर यह वीर प्रसवनी भूमि ,वीरों के आभाव में बाँझ जैसी होकर रह जाएगी ??????????माधवी .
१, मेरे श्राद्ध का धन बचाकर हिन्दू धार्मिक संस्थानों को दान में दे दिया जाए तथा मै अपने निजी कोष से पांच सह्रस्त्र रुपये शुद्धि आन्दोलन के लिए भेंट करता हूँ |
२ ,और मेरी मृत्यु का शोक प्रकट करने के लिए किसी तरह का बंद या हड़ताल न कि जाए ,,,मेरे मरण के शोक के लिए कोई भी व्यक्ति अपना कार्य बंद न करे ....
'वीर सावरकर''
क्रांतिकारियों के मुकुटमणि ,स्वतंत्रता सेनानियों के अग्रणी ,हिंदुत्व को शक्ति शाली एवं संगठित करने हेतु अछूतोद्धार जैसी महान सोच के लिए एवं कार्य करने वाले युगपुरुष ''वीर सावरकर'' की पुण्यतिथि पर शत- शत नमन |||
पर आज वीर सावरकर, बिस्मिल , मातंगिनी हाज़रा, सुखदेव जेसे देव तुल्य भारत भूमि के भक्त आज अपनी जन्म भूमि अर्थात भारत भूमि की दुर्दशा पर व्यथित हो रहे होंगे ,,रुदन कर रहे होंगे ,,,,,,,,,
क्युकी आज ये भ्रष्ट शासन, भ्रष्ट नेता अपने और अपने रिश्तेदारों कि आने वाली पचास पुश्तो की या शायद उससे भी अधिक की पीढियों चिंता करके भारत की धन - सम्पदा को विदेशी खातो और खजानों कि भेंट चढ़ा रहे है ,,,,,,,,,,
भारत माँ आज फिर एक बार ह्रदय की करुण पुकार से अपनी स्वतंत्रता के लिए अपने वैभव के लिए फिर एक'' बिस्मिल'', फिर एक ''सावरकर'' को पुकार रही है ,जो आज फिर उसके अस्तित्व, उसके गौरव ,उसकी सम्पदा को लौटा सके, बढ़ा सके और उसे फिर गरिमामयी शीर्षस्थ सिंहासन पर विराजित कर सके ,,,,,,,,,
क्या फिर कोई वीर सावरकर जन्म लेगा ????????????????
या
फिर यह वीर प्रसवनी भूमि ,वीरों के आभाव में बाँझ जैसी होकर रह जाएगी ??????????माधवी .
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