शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले.
वतऩ पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा.....???????
कहाँ लग रहे है मेले उनकी चिताओ पे , उनकी शहीदगी का क्या कोई चिह्न शेष है...............??????
तीन चिताएं जली थी ---प्रातः स्मरणीय वीर बलिदानियों की (1)भगतसिंह (2) सुखदेव (3)राजगुरू
क्या कोई याद रखता है?? ......सिवाय तब ,,जब बच्चो की फैंसी ड्रेस हो या जब ऑफिस की छुट्टी हो....?????
हाँ अगर फिल्म समारोह का उद्घाटन हो या क्रिकेट मेच होने पर बड़े से बड़े अभिनेता नेता यहाँ तक की प्रधान मंत्री भी वहां पर जाकर हाथ हिलाते हुए दिख जायेगे ...मगर इन शहीदों की याद न तो किसी अभिनेता न नेता और न प्रशासन को ही रहती है ........न उनके शहीद स्थल पर कोई दिया जलता है न मोमबत्ती...
ऐसा क्यों ?????
क्युकी ये देश आज भी इण्डिया है ,,गुलाम है,और गुलाम देश के लिए स्वतंत्रता की आवाज़ उठाने वाले वहां के प्रशासको के द्वारा कभी सम्मानित नहीं किये जाते अपितु अपमानित ही किये जाते है सम्मान हमेशा तत्कालीन परिस्थितियों में हमेशा जयचंद और मानसिंह को ही मिला है .........
परन्तु जनता ,,,,क्या ऐसी स्वार्थी जनता के लिए क्रन्तिकारी शहीदों ने क्रांति की वेदी पर आत्माहुति दी ?????
क्या जनता का कोई कर्तव्य नहीं बनता की वे अपने ''प्रातः स्मरणीय'' पूर्वजो और देशभक्तों को न भुलाये वरन आने वाली पीड़ियों को इनकी शौर्य गाथाये ,क्रातिकारी ज़ज्बे जैसी अमूल्य धरोहर से अवगत कराये........जिससे शायद भविष्य में ही सही पर कोई आज़ाद. बिस्मिल,, मातंगिनी हाज़रा , सुभाषचन्द्र बोस जैसा अनमोल व्यक्तित्व जन्म ले और इस इण्डिया की ''अधूरी आज़ादी'' को ''पूर्ण स्वराज्य'' में बदलकर '' अखंड भारत '' के रूप में स्थापित करे .....||
वन्दे मातरम!!!
जय अखंड हिन्दू राष्ट्र!!!
© माधवी
good....bahut achha hai
ReplyDeletegood bahut accha article hai.......jasdev arya
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